एक मोहतरमा से बात हुई तो उन्होंने अलग होने का कारण बताया कि पति का परिवार काफी बड़ा था और ससुराल में रसोई में काफी काम करना पड़ता था। एक मोहतरमा टी.वी. के बिना जी ही नहीं सकतीं थीं। जो भी हो शादी के प्रस्तावों से वार्ता के समय मनोज को बड़े ही चैकाने वाले अनुभव आये। बिहार के एक लड़की के पिता से बात हो रहीं थी। पता चला कि लड़के पर मुकदमा कर रखा है। उससे बहुत बड़ी रकम माँगी जा रही थी। मुकदमें में उस बच्ची के लिए भी खर्चे की माँग की गई थी, जो बच्ची के दादा-दादी द्वारा पाली जा रही थी। जब मनोज ने पूछा कि माँ ने छोटी बच्ची को अपने पास रखने की माँग क्यों नहीं की? उत्तर ऐसा मिला कि मनोज हैरान रह गया। उस महिला के पिता का कहना था, उसकी बेटी उसकी बच्ची को अपने पास क्यों रखें? उसकी लड़की है, वह अपने पास रखे। इस प्रकार की मनोवृत्ति वाले माता-पिता अपनी बेटी की भी इसी प्रकार की मनोवृत्ति बना देते हैं और इस प्रकार की लड़कियाँ अच्छी माता नहीं बन पातीं। मजेदार बात यह थी कि माँ बच्ची को अपने पास नहीं रखना चाहती थी किंतु मूर्खतापूर्ण तरीके से मुकद्मा करके बच्ची के नाम पर भी रूपये लेना चाहती थी। इस प्रकार की लड़की के साथ कौन शादी करके अपने आप को मुसीबत में डालना पसन्द करेगा? मनोज को बाद में पता चला कि उस लड़की के अपने मायके में किसी अन्य व्यक्ति के साथ अवैध संबन्ध उसके वैवाहिक जीवन का आधार बने थे, किन्तु दहेज का झूठा मुकदमा दर्ज कराकर ब्लैकमैलिंग करके अच्छा खासा धन वसूला गया। वे अब दूसरे बकरे की तलाश कर रही हैं।
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