"मुझे संसार से मधुर व्यवहार करने का समय नहीं है, मधुर बनने का प्रत्येक प्रयत्न मुझे कपटी बनाता है."
-विवेकानन्द
Tuesday, December 23, 2008
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उपरोक्त कहानी मेरे पास जोधपुर से सुश्री चंदू कुमारी ने ईमेल से फोरवर्ड करके भेजी थी मैं उनका आभारी हूँ तथा सभी मित्रों को पढ़वाने की इच्छा से प्रकाशित कर रहा हूँ। इसे स्पष्ट पढने के लिए इस पर डबल क्लिक करें।
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