tag:blogger.com,1999:blog-6795534918997465128.post4851167104495730806..comments2024-02-23T08:21:33.505+05:30Comments on डा. राष्ट्रप्रेमी: पहले बुलाया, गले लगाया, दूर हटो, फिर कह गयींडा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttp://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6795534918997465128.post-20505203362414262152015-11-28T16:48:49.834+05:302015-11-28T16:48:49.834+05:30ये आश भी बस अजीब है प्रिय .
हटाने से भी जाती नहीं ...ये आश भी बस अजीब है प्रिय .<br />हटाने से भी जाती नहीं ,<br />बार बार तंग करने चली आती है .<br />दिल के किसी कोने में ,<br />अमर बेल की तरह लिपट जाती है .<br />दबी यादों को झंझोर कर कह जाती है ,<br />फिर से मैं वही आश हूँ.<br />पुकार लोगे बस फिर एक बार नीलमhttps://www.blogger.com/profile/17249497571918428498noreply@blogger.com