Monday, December 31, 2018

दहेज के बिना शादी के संकल्प का परिणाम-३९

उसका बेटा परीक्षा देकर लगभग 2 बजकर 30 मिनट पर वापस आया। मनोज ने पूरा प्रयत्न किया कि उसका बेटा उसकी चिंताओं को समझ न सके। मनोज ने चेहरे पर मुस्कान लाते हुए दरवाजा खोला। सामान्य होकर बेटे से परीक्षा के बारे में पूछताछ की। किंतु वह बेटा ही क्या ? जो अपने पिता के चेहरे से उसकी चिंताओं को न पढ़ सके। प्रभात मनोज के चेहरे को देखकर ही समझ गया कि कुछ गंभीर बात है। क्योंकि उसे पता था कि उसके पिता छोटी-मोटी बातों से चिंतित नहीं होते। प्रभात ने मनोज से बार-बार पूछा कि पापा बात क्या है? आप परेशान क्यों लग रहे हैं? मनोज ने उसे सब कुछ सामान्य बताकर केवल इतना ही कहा, ’मुझे किसी आवश्यक कार्य से तुरंत बाहर जाना होगा। अतः तुम्हारी बुआ कल यहाँ आ रही है।’
                      मनोज को परेशानी यह नहीं थी कि उसके खिलाफ कोर्ट में केस हो गया है। केस तो होना ही था। यह उसे उसी दिन पता चल गया था, जिस दिन माया पहली बार शादी के नाटक के बाद घर आई थी। यह उसे उसी क्षण लग गया था जिस क्षण उसे पता चला था कि माया अपना मोबाइल लेकर नहीं आई है। यह उसी समय पता चल गया था कि माया ने अपने वायदे के अनुसार अपना बैंक खाता बंद करके उसकी धनराशि अपनी माँ को नहीं दी है। यह उसी दिन पता चल गया था जिस दिन माया ने मनोज के मोबाइल से अपने संदेश मिटाए थे। वास्तविक रूप से माया ने शादी नहीं, मनोज का शिकार किया था। माया और माया के भाई ने सोच-समझकर मनोज को फंसाया था। जबकि मनोज ने अपने प्रोफाइल पर स्पष्ट लिख दिया था कि किसी भी प्रकार का झूठ का मतलब शादी चल नहीं सकेगी। विवाह संबन्ध विश्वास पर टिके होते हैं। विवाह को पवित्र संस्कार कहा जाता है। यदि विवाह की बुनियाद ही झूठ पर आधारित हो तो वह विवाह कैसा? वह तो धोखे, छल व कपटपूर्ण ढंग से किसी का शिकार करना ही हुआ ना? अतः यह तो पहले दिन से ही तय था कि माया ने मनोज के साथ नेक इरादे से शादी न की थी। 
                        ऐसी शादी के बड़े खतरनाक परिणाम होते हैंे। शादी के बाद तथाकथित पत्नी अपने प्रेमियों के साथ मिलकर पति की हत्या इस ढंग से करती है कि वह आत्महत्या या दुर्घटना लगे और पत्नी पति की संपत्ति को अपने कब्जे में करके मौजमस्ती भरा जीवन बिता सके। इस तरह की घटनाएं आये दिन अखबारों में और पत्र-पत्रिकाओं में छपती रहती हैं। टेलीविजन पर भी सावधान इंडिया और क्राइम अलर्ट जैसे सच्चाई का दावा करने वाले धारावाहिक भी इस तरह की घटनाओं को दिखाते रहते हैं।  दूसरा रास्ता झूठे मुकदमेबाजी में फसाकर ब्लेकमैलिंग करके रूपये ऐंठना या कोर्ट की सहायता से कानूनों का दुरूपयोग करके अच्छी खासी रकम प्राप्त करना। प्रारंभ में ही माया के षडयन्त्र को मनोज ने समझ लिया था। अतः वह चैकन्ना हो गया था। यदि वह अपने प्रेमियों  के साथ मिलकर मनोज की हत्या भी करवाती तो उसे जेल ही जाना पड़ता। उसके हाथ कुछ न आता। वैसे भी मनोज के बाद प्रभात ही उसका वारिस था। माया के षडयंत्रपूर्वक शादी की बात पता चलते ही मनोज अपने बेटे की सुरक्षा को लेकर अत्यन्त जागरूक हो गया था। अतः माया के पास कोर्ट के माध्यम से अपने इरादों को पूरा करने के अतिरिक्त कोई दूसरा रास्ता न था। अतः मनोज को अनुमान था कि माया अवश्य ही ऐसा करेगी किंतु इतना जल्दी करेगी? यह उसने न सोचा था। 

No comments:

Post a Comment

आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.