Saturday, December 29, 2018

दिखावटी प्रेम के दोहे

शादी हैं धन्धा बनीं, झूठे दहेज के केस।
काली कपट कलंकिनी, पहनें दुल्हन वेश॥
शर्म हया लज्जा बिकी, धन ही है बस सार।
शादी पति के पर्स से, मजे करन को यार॥
शादी को कुछ ओर है, नौकरी को कुछ ओर।
शादी को धन्धा बना, कहत और को चोर॥
सम्बन्धों को बेचते, रिश्तों का व्यापार।
छल,कपट औ प्रपंच कर, कहते तुमसे प्यार॥
जिसको कुछ ना चाहिये, पास वही अब आय। 
हम पहले ही लुट चुके, पास बचा कुछ नाय॥
धोखे, छल औ कपट से, दिखलाती हैं प्यार।
शादी है धन्धा बनी, ये हैं आधुनिक नार॥
धोखे का ये बीज बो, कपट का डाले खाद।
शादी का नाटक करें, कोर्ट में करें फ़रियाद॥
प्रेम शब्द से अब बचो, जी लो पल दो चार।
प्रेम धोखे का नाम है, करता बण्टा ढार॥
इंसानित है खो गयी, प्यार बना व्यापार।
गला रेत कर कहत हैं, हमको तुमसे प्यार॥

No comments:

Post a Comment

आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.