Sunday, August 19, 2018

दहेज़ के बिना शादी के संकल्प का परिणाम-२९

अफजल दोहरा गेम खेल रहा था। एक तरफ तो वह माया से दिन भर बात करता था,  नहीं, माया अफजल से बात करती थी । यह अफजल का ही कथन था कि वह नहीं माया उसको फोन मिलाती है। बात भी सही थी। माया जिस स्थान पर रह रही थी, उसे लूटने आयी थी। उस स्थान पर उपलब्ध फोन से फोन करके माया का खर्च नहीं हो रहा था। वह अपने प्रेमी से फोन करवा कर उसके खर्चे में वृद्धि क्यों करवाती? दूसरी और अफजल भी क्यों खर्च करता, वह तो माया के साथ भी गेम ही खेल रहा था। वह माया से बदला दे रहा था। उसकी तो पौ बारह थी। नमक लगे न फिटकरी रंग चौखा ही चौखा। माया से प्रेम भरी बातें करके उससे एक एक बात जानकर प्रसन्न होता कि खूब बेवकूफ बन रही है। वह एक और तो माया से अंतरंग बातें करके उसे अपने प्रेम का विश्वास दिलाकर मजे ले रहा था, तो दूसरी ओर मनोज को आश्वासन दे रहा था कि वह उसका पीछा माया से छुड़ा देगा। मनोज से कहता कि वह एक बार मेरे पास आ जाय फिर वह वापस नहीं जायेगी। माया ने मनोज से जो जो छिपाया था, उस सबकी जानकारी अफजल ने मनोज को दी इस कारण मनोज का अफजल की बातों पर आसानी से विश्वास हो गया। मनोज को अफजल से ही माया की वास्तविक जाति का पता चला। अफजल से मिली जानकारी की पुष्टि के लिए माया से जब जाति प्रमाण पत्र माँगा तो वह जाति प्रमाण पत्र लाने में आना कानी करने लगी। जब अधिक जोर देने पर माया ने अपना जाति प्रमाण पत्र उपलब्ध करवाया तो उससे अफजल के दावे की पुष्टि हो गयी। 
माया ने जाति छिपाकर अफजल से शादी की थी। उसका उद्देश्य भी अफजल के द्वारा ही मनोज को बताया गया था। अफजल ने ही स्पष्ट किया कि माया अपने एकमात्र भाई को जी जान से चाहती है। वह माया से आयु में काफी छोटा भी था। उसके अतिरिक्त उसके घर में अन्य कोई पुरूष सदस्य न था। अतः माया ने ही घर परिवार को सभाल रखा था। माया ने घर-घर जाकर ट्यूशन पढ़ाकर रूपया कमाने की कोशिश की थी। अपने छोटे भाई को आर्थिक सहायता कर सके इसी के लिए वह किसी नौकरी करने वाले या व्यवसायी से शादी करना चाहती थी, जो अच्छा खासा कमाता हो। अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए वह कुछ भी कर सकती थी। वह ऐसे आदमी से शादी करने के लिए भी तैयार थी, जिसको पहली पत्नी से बच्चे हों। माया ऐसे व्यक्ति से शादी करने के लिए भी तैयार थी, जो विदेश में रहता हो। माया को वश पैसा चाहिए था, जिससे वह अपने भाई को आर्थिक सहायता कर सके और स्वयं ऐसो-आराम की जिन्दगी जी सके। किन्तु माया की शक्ल-सूरत ठीक न होने के कारण उसकी शादी होना ही मुश्किल हो रहा था। उसके बाबजूद माया की महत्वाकांक्षा कि वह किसी पैसे वाले से ही शादी करेगी। माया की उम्र बढ़ती गयी और वह चालीस को पार कर गयी। माया का पूरा परिवार उसकी शादी को लेकर चिन्तित था। माया दिखाने के लिए मना करती थी कि वह शादी नहीं करेगी। किन्तु माया अपनी महत्वाकांक्षा को शादी के माध्यम से पूरा करना चाहती थी। उसके समुदाय व उसके परिवेश में माया की शादी होना ही संभव नहीं था। महत्वाकांक्षा का पूरा होना तो अलग बात थी। इतनी बढ़ी हुई उम्र पर ऐसी बदसूरत औरत से कौन शादी करता? उसके बावजूद माया को अच्छा खासा कमाने वाला मुर्गा चाहिए था।

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